दरभंगा......चार दिवसीय उर्स के आखरी दिन भटियारीसराय स्थित हजरत भीखा शाह सैलानी के मजार शरीफ पर जलसा में तकरीर व नातिया कलाम पेश किए गए और चादरपोशी के बाद दुआ के साथ कार्यक्रम का समापन हो गया। रहमगंज स्थित खानकाह आलिया समरकंदिया में चल रहा चार दिवसीय उर्स में कई राज्यों और नेपाल से भी जायरीन उर्स में पहुंचे थे। नामचिन मौलाना और नातिया कलाम पढ़ने वाले शायरों के अलावा स्थानीय मौलाना और नातिया कलाम पढ़ने वाले शायरों के द्वारा देर रात तक सुनाते रहे और महफिल को रूहानियत माहौल में समा को बनाए रखा।सूफी संत हजरत सैयद फिदा मोहम्मद अब्दुल करीम मौलाना समरकनदी के 130 वे उर्स के दूसरे दिन शुक्रवार की सुबह 6 बजे से कुरआन खानी के बाद दुआ पढ़कर कार्यक्रम का आगाज किया गया और फिर भटियारीसराय स्थित भीखा शाह सैलानी के हजरत मौलाना समरकंदी के मजार पर चादर पोशी और दुआ से शुरू हुई। सज्जादानशी पीर ए तरीकत हजरत सैय्यद शाह मो समसुल्लाह जान उर्फ बाबू हुजूर की शसरपरस्ती अध्यक्षता में हुए जलसे को कामयाब बनाने में कई लोगों का सहयोग और साथ रहा। बाबू हुजूर के बड़े शाहबाजदे सैय्यद शाह नूरूल अमीन भी मौजूद थे। उर्स के तीसरे और चौथे दिन गरीबों और अकीदतमंदों के बिच खिचड़ा बांटे जाते हैं। जलसे के तीसरे दिन खास कार्यक्रम में खानकाह में पढ़ाई पूरी करने वाले 25 बच्चों की दस्तारबंदी बाबू हुजूर के हाथों की गई। आलिया में 7 , हाफिज में 9 और कारी में 9 खानका के बच्चों की दस्तारबंदी की गई। बाबू हुजूर ने जलसे से खिताब करते हुए कहा की दुनिया और आखरत में कामयाबी हासिल कर सकते हैं। हमें चाहिए जितना हो सके गुनाहों से बाज आए और अच्छे कामों को अपनी जिंदगी में शामिल करनी चाहिए। उर्स के चौथे और आखरी दिन रविवार की सुबह भटियारीसराय स्थित भीखा शाह सैलानी के मजार शरीफ पर बाबू हुजूर और उनके बड़े बेटे सैय्यद नूरूल अमीन के साथ अकीदतमंद जायरीन ने पहुंचकर फातिहा खानी के बाद दुआ के बाद उर्स का समापन हो गया। जानकारी देते हुए खानकाह आलिया समरकनदीया के मीडिया प्रभारी नादिर खान की ओर से दी गई है।