दरभंगा...राधा कृष्ण भक्त मंडल परिवार दरभंगा की ओर से लहेरियासराय शिवाजी चौक स्थित दुर्गा मंदिर प्रागंण में आयोजित सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा के छठे दिन कोलकाता से आए आचार्य श्री वेदानंद शास्त्री ने श्री कृष्ण के बाल लीलाओं से कथा को आगे बढ़ाते हुए कहा कि जो व्यक्ति प्रत्येक दिन भगवान के लीलाओं का श्रवण उनका गुणानुवाद और उनका भजन करता है उसे सभी प्रकार के तापो से मुक्ति मिल जाती है। आप भगवान की पूजा आराधना जिस किसी भी भाव से चाहे सकाम या निष्काम रूप से करें आपको उसी प्रकार से लाभ मिलता है। उन्होंने भगवान द्वारा भिन्न भिन्न असुरों का वध के बारे में बताए। वहीं कंस के द्वारा कृष्ण वध के असफल प्रयास के बारे में भी चर्चा करते हुए कहा कि कंस अपने सहयोगी मंत्रियों के साथ विचार किया कि किसी भी तरह से कृष्ण को मथुरा बुलाकर उसका वध किया जाय। इसके लिए अक्रूर जी को गोकुल भेजकर बुलावा भेजा। यशोदा मैया के अति विरोध के बावजूद नंद बाबा को कृष्ण बलराम को भेजना पड़ा। यहां कंस उनको मारने के लिए बहुत सारे मल्ल और हाथियों को धनुष यज्ञ में लगाए हुये थे। उधर मथुरा पहुंचकर भगवान धोबी पर कृपा किए, कब्जा का उद्धार किए। मथुरा के नर- नारियों को दर्शन देकर उनके सभी पापों और संतापो को हरे। श्री कृष्ण और बलराम ने सभी मल्लो और हाथियों को मारते हुए कंस का उद्धार किए। उसके बाद उग्रसेन को पुनः राजगद्दी पर बिठाकर अपने माता पिता को कारागार से मुक्त करवाकर अध्ययन के लिए गुरुगृह गए। तदनतर उद्धवजी को गोकुल भेजकर गोपियों के अटूट प्रेम को दिखाए। महारास करके गोपियों के अटूट प्रेम और श्रद्धा के अनुरूप उनके हृदय की वेदना और विरह एवं दुःख दरिद्रता को दूर किए। बंधनों से मुक्त होना ही महारास का मुख्य उद्देश्य है। रास में भाग लेने का अभिप्राय अपने को विभिन्न तापों से मुक्त करके भगवान के प्रेम में वशीभूत होना है।रुक्मिणी मंगल पर यही पर कथा को विश्राम दिया गया।वहीं मौके पर भागवत प्रेमी ललन कुमार झा, दुर्गा पूजा समिति शिवाजी चौक के सचिव गिरिंद्र झा, मदन झा एवं राधा कृष्ण भक्त मंडल के अध्यक्ष नवीन चौधरी भी उपस्थित थे। श्री महाराज जी के साथ भक्तो ने जन्मोत्सव के पुनः स्मरण को बड़े आनंदविभोर होकर भजनों पर नृत्य करते हुए मनाए।