दरभंगा...विश्व में शान्ति एवं सद्भाव बनाए रखने के उद्देश्य से गंगोत्री से गंगाजल लेकर चले सद्भावना यात्रा समिति, दरभंगा के सात सदस्यीय पैदल कांवर यात्रा सोमवार को रामेश्वरम पहुंचेंगे और मंगलवार को गणेश चतुर्थी के दिन बाबा रामेश्वरनाथ पर गंगाजल चढ़ाएंगे। जानकारी देते हुए विद्यापति सेवा संस्थान के महासचिव डा बैद्यनाथ चौधरी बैजू ने बताया कि इन यात्रियों ने बीते 4 जून को ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन गंगोत्री से कांवर में गंगाजल लेकर पैदल यात्रा करते हुए हिंद महासागर और बंगाल की खाड़ी तट पर अवस्थित द्वादश ज्योतिर्लिंग में से एक रामेश्वरम शिवलिंग पर जलाभिषेक करने के लिए प्रस्थान किया था। करीब 108 दिन की इस कठिन यात्रा के दौरान यात्रियों ने अनेक कष्ट सहे लेकिन उनके उत्साह में कभी कोई कमी नहीं आई। प्रचंड धूप में भी उनके कदम नहीं थमे और आखिरकार उनके संकल्प के पूरा होने का दिन करीब आ गया। उन्होंने बताया कि सोमवार को रामेश्वरम पहुंचने पर सभी कमरथु का भव्य स्वागत किया जाएगा इसके लिए देश के विभिन्न हिस्सों में रहने वाले मैथिलों का जुटान शुरू हो गया है।उधर, कांवर यात्री दल के नेतृत्व कर्ता एवं मैथिली के वरिष्ठ साहित्यकार मणिकांत झा ने बताया कि आजादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर होने वाली इस सद्भावना कांवर यात्रा में शामिल सभी सात मैथिलों का उत्साह पहले दिन परवान पर रहा। दुर्गम पहाड़ी रास्ता तय करते समय मौसम ने रिमझिम बारिश कर औढ़रदानी के भक्तों का स्वागत किया तो कांवर पथ पर स्थानीय लोगों के अतिरिक्त प्रवासी मैथिलों द्वारा किया गया भव्य स्वागत हमेशा यादगार बना रहेगा।डा बैजू ने कहा कि मिथिला के आठ करोड़ लोगों की शुभकामनाएं यात्रीदल के साथ हमेशा चलती रही और यह यात्रा अपने उद्देश्य में ऐतिहासिक सफलता हासिल करने में सफल रही है।सद्भावना यात्रा समिति के संयोजक एवं भारत निर्वाचन आयोग के दरभंगा जिला आइकॉन सह मैथिली के वरिष्ठ साहित्यकार मणिकांत झा की अगुवाई में पूरा होने जा रही इस सद्भावना पैदल कांवर यात्रा में शुभंकरपुर (दरभंगा) के मणिकांत झा, हरिना, झंझारपुर, (मधुबनी) के चिरंजीव मिश्र, भीषम टोल, कछुआ, (दरभंगा) के श्याम राय, रतवारा, (मुजफ्फरपुर)के आशुतोष कुमार एवं रंजीत कुमार झा सहित हरिनगर, सीतामढ़ी के सुदिष्ट
ठाकुर शामिल हैं।उन्होंने बताया कि उत्तराखंड के गंगोत्री से यात्रा आरंभ कर पदयात्री उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, तेलंगाना,आँध्र प्रदेश, तमिलनाडु के रामेश्वरम तक पहुंच रहे हैं। यात्रा के क्रम में कांवर यात्री मिथिला की कला संस्कृति, सभ्यता और भाषा आदि को उन लोगों के बीच प्रचारित व प्रसारित करने के साथ ही वहाँ की कला-संस्कृति आदि से परिचित हुए हैं।